चरणों को छूने दो मेरी प्रीत अमर कर दो
बन जओ मेरे सतगुरु ये रीत अमर कर दो
ना उम्र की सीमा है ना जनम का है बंधन
तुम सतगुरु हो सबके मेरे भी सतगुरु हो
बन जाओ ईष्ठ मेरे मुझे दास मंजू कर लो
चरणों को छूने ----------
मेरे पागल मन को समझा दो पल भर में
ये भट्क रहा चहूं ओर स्ठिर खुद में कर दो
करि करूणा चोत से तुम मुझे दान शबद कर दो
चरणों को छूने-----------------
कब से ब्याकुल हूँ मैं नहीं जग में रमता मन
लगी प्रेम अगनि तुमरी जैसे जलता हो वन-वन
करो ज्ञान रूप वर्षा मेरा ठण्डा मन कर दो
चरणों को छूने ..................
रहूँ संतन की सेवा प्रभू आप रहें दिल में
गुरू रूप तेरे निज का रहे मेरे तन मन में
चरणों को छूने दो मेरी प्रीत अमर कर दो
बन जाओ मेरे सतगुरु ये रीत मर कर दो
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