नये वर्ष की शुभ ये वेला, खुद को पाऊंँ तन्हा अकेला ।
दिल से दुआ करूंँ ईश्वर से, तुम्हारे घर आये खुशियों का मेला॥
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Happy New Year O Dearest ||
गुजरा भूलो, भविष्य को सोचो, वर्तमान में आनंद करो ।
कवि शायर गायक नहीं मैं, जो लिखा उसे कबूल करो ॥
खुश्बू ही खुशबू है खुशबू खुशबू से खुशबू आती है।तब जस्न ही कुछ ऐसा होगा घर यार के खुशबू आती है ॥
जब गुल ने कहा खुशबू से महक,खुशबू इतराकर यूं बोली ।क्योंं इतना मुझे महकाते हो,चाहत मेंं मेरी यूंं मडराकर भँवरे भी मंहकने लगते हैं ॥
नाम तेरा विक्रम क्यों रखा, जब खुशबू चुराने वाले हो। नाहक में चुराकर यूं खुशबू , घर खुशबू लाने वाले हो ॥
खुशबू से सदां तुम महका करो, लगेंं लाख दुआएंं मेरे दिल की।मेरी तो खुशबू सून हुई, जाने क्या बात मेरे मन की ॥
जस्न तो अक्सर खुशियोंं के ही होते हैं ।मगर क्या करें, हमें तो गमे जस्न ही भाते हैं॥
कल फिर खुशियो की बारात आयेगी।और एक नई सौगात लायेगी॥तुम चले भले ही जाना बिना मिले हमसे।खुशियाँ सबसे पहले, तेरी ही चौखट खट्खटायेगी॥
अभी बांँकी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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