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YAARIYAN BACHAPAN KI

 यह कविता एक गहरी दोस्ती के विविध पहलुओं को उजागर करती है। इसमें दोस्तों के बीच के जीवन के विविध पलों का वर्णन किया गया है, जो उनके बीच की गहराई और जुड़ाव को दर्शाते हैं। दोस्तों के साथ गुजारे लम्हों की महक और मीठी यादें कविता में प्रकट होती हैं, जो दोस्तों के बीच की अजीबोगरीब मित्रता की अद्वितीयता को उजागर करती है।

चल फिर एक बार वही चल फिर यार्।

जहाँ रोज गिल्ली डण्डा खेलते थे।

तू रोता था हारने पर यूँ,

और पींठ पै मेरी आता था

घर तक की कशम माँ देती थी

तुझको घर तक यूँ लाने की,

अब कोई नहीं देता आवाज,

ना मारते झींके में कंकड,

ना आता कोई अब मन समझाने,

संघर्ष बहुत पर यार नहीं,

ईक वार तो चल खुश हो लूँ मैं

वर्षो से लगी होठो पर पपडी है।

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