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Apane Mitra Ko Pyar Bhara Patra


 खत लिखने जब तुमको बैठा, सोचा सुरू में लिखूँ क्या यार,
झट दिल का पंछी चहंक पडा, तुम नमन करो उसका परिवार।
अब हाल सुनाओ अपने दिल का, और कुशलता पूँछो सपरिवार, 
पढने वालोंं सुनने वालों को, नमन करूँ मैं फिर एक वार । 
बढों को चरन छूना कहता, छोटों को जग कितना प्यार,
मम्मी जी को और पापा जी को शीश झुकाकर करता याद ।
मैंने तो गुन लिया जगत का, तुम भी विसमत ना हो यार,
सब कठिनाई क मूल मंत्र है मम्मी पापा और परिवार।
जनवरी हो आपकी मीठी, हर दिन हो खुशियाँ बेशुमार, 
फरवरी में दुल्हन लाये, नये-नये रिश्तोंं की बहार।
मार्च माह में होगी तरक्की, सर्विश और पैसा में यार,
अप्रैल माह में मिले आपको, बिछडे सब सपनों का प्यार।
मई माह में गर्म हो जाये, पैसा घर आने का खुमार,
जून महीन लेकर आये, ताज तरर्र्की का उपह्यार।
हो जुलाई अपनोंं और परायोंं की खिदमतगार, 
अगस्त माह में झिलमिल लाये, अपनी बहिना का सुख प्यार।
माह सितम्बर में आयेगेंं, हम मिलने को तुमसे यार, 
अक्टूवर में आजायेगा, कोई मेहमां तेरे द्वार।
माह नवम्बर में होगा, तेरी खुशियोंं का घर संसार,
अंतिम माह है, मैं क्या दे दूँ, उमर हो तेरी एक करोड हजार। 
तुम्हारा मित्र 



 

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