तुम तौ सागर हम कींच,
गुरुजी मैं तुम लायक नहीं |
आप नैं दीन्ही प्रभू शरण चरण की,
देखि रहौ मैं राह वचन की |
करि देऊ दया से सींच,
गुरुजी मैं तुम लायक नहीं |
अखियाँ तरसि रहीं बिन तेरे,
दिल मैं उठें आश के गोले |
क्यों करि कृपा लई खींच,
गुरुजी मैं तुम लायक नहीं |
आप रूप ईश्वर का मेरे,
हम अवगुण अज्ञानी तेरे |
तुम स्वामी मैं रहा सीख,
गुरुजी मैं तुम लायक नहीं |
काल फंद की नदी अपारा,
हाथ पकड के पार उतारा |
गुरू हाथ रखौ आषीश,
गुरुजी मैं तुम लायक नहीं ||
0 Comments