Ticker

6/recent/ticker-posts

LADKI KI TAREEF KE LIYE WORDS



                                                                                     ॥1॥


                           रोते को हँसाती है खुशबू, सोते को जगाती है खुशबू,

मन को महकाती है खुशबू, तन को मँहकाती है खुशबू।

सब को हर्शाती है खुशबू, सबको बहलाती है खुशबू.
रूठे को मनाती है खुशबू, बिगडों को बनाती है खुशबू।

खुशबू से ही बनते है रिस्ते, खुशबू से ही खिलते गुलदस्ते,
खुशबू से ही मँहकें ये रसते, खुशबू से ही अपने वाबस्ते॥

सब खुशबू को इतना चाहें, खुशबू भी इतराना चाहे,
खुशबू तो रोक नहीं सकते, खुशबू भी सब की होना चाहे॥ 

खुशियाँ संग लाती है खुशबू, आँगंन मँहकाती है खुशबू,
है तीज त्यौहारों में खुशबू, हर मौसम और बहारों में खुशबू॥

 आकाश में है धीमी खुशबू, पाताल मेंं है झीनी खुशबू,
पौधों की सनन-सनन खुशबू, झरनों की झनन-झनन खुशबू॥

वहती है खुशबू हवाओं में, रहती है खुशबू घटाओं में,
चलती है खुशबू फिजाओं में, खुशबू ही तो है दरियाओं में॥ 

वर्खाओं में खुशबू रिम-झिम की, शबनम में खुशबू  टिम-टिम की,
सागर में खुशबू घरर-घरर, नदियों में खुशबू सरर-सरर॥

खेतों में खुशबू मिट्टी से, बागों में खुशबू  फूलों से, 
खलिहान महँकते खुशबू से, पछीं भी चन्हकते खुशबू से॥

सब जगत दुलारी है खुशबू, दुनियाँ से न्यारी है खुशबू।
कलियोंं पै वारी है खुशबू, परियों से प्यारी है खुशबू,

ये जगत जहाँ खुशबू से भरा, पल-पल मिलती पर मन न भरा,
भर जाये अगर मन मेरा भी,  खुशबू ही खुशबू ना खुशबू से बडा॥ 

॥2॥

शुक्र है खुदा का कि एक ही वार देखा था उन्होंने हमें।
उनके जलवों से तो पूरा जीवन ही बदल सकता था॥
बच गये खुदा की खैर पड गयी दूसरी नजर न पडी हम पर्।
वरना वहाँ लोग कह रहे थे 100 वां कत्ल भी पूरा हुआ॥

॥3॥ 

मुहब्बत तो कर बैठा सिर्फ एक ही नजर देखकर ।
पर किसी ने ये नहीं बताया था कि, महबूब तो मासूमों को ही ढूंढतीं हैं॥

हर रोज एक नजर देखना ही करम था मेरा।
किंतु तरश भी मेरी किस्मत को नसीब नहीं हुआ॥

आज तक यही सोचता हूँ मैं, कि मुझे मुहब्बत हुई थी या उमर कैद।
जबाव ना पा सका अभी तक, पर सजा बोलने वाले आये बहुतायत में, उसे भी ले गये॥

सदमे मे पड गये मंजर ये देखकर, सामने से खबर आयी अब सिल-सिले खत्म हुये।
सदमे को सिल-सिला बनते देख, भौंचक्के से रह गये हम, नासमझी से देखते रहे उन्हें॥

पता न लगा सके हम, कि खत्म सिल-सिले हुये या हम्।
कसम से कहता हूँ यारो, इतनी सालों के बाद भी लक्षण अभी भी नासमझी के ही हैं॥ 

उनकी तो चाल ने भी रफ्तार पकड ली थी, शेर की तरह।
 समझते देर न लगी मुझको, अगर शेर वह है तो मासूम मैं ही था॥

बेबसी और लाचारी के आँसू लिये, सोचता ही रहा हूँ मैं।
दर्द और इश्क का लुप्त ऐसा, शायद ही किसी ने पाया होगा॥

इश्क,अश्क, और मुस्की का संगम देखते ही बनता था मेरे चेहरे पर।
लगता था तकदीर से रूबरू होना इसे ही कहते हैं॥

इतनी माशूमियत से पाला था मेने इश्क को, परवरिश का सिला खूब मिला।
मुझे बखूबी पता चल चुका था, जख्मों की तादाद देखकर मौत आसान थी॥

अगर जोर मरने पर दे देता तो, आज बयां न कर पाता खुद को।
जमाना बेशक मुलजिम करार, हमें ही देता ॥

और रुसबा हो जाती मेरी ये पाके मुहब्बत्।
फिर भला मैं अकेला जबाब किस-किस को देता॥


॥4॥ 
  प्यार को तो सब कहते हैं प्यार किसका पूरा होता है ।
क्योंकि प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है ॥ 
॥5॥
सोच ले भाई अभी भी वक्त है कुछ नहींं विगडा है।
वरना हजरतें ही बाकीं रह जातीं हैं लोगों के दिलोंं में॥
जी ले जी भर के जैसे भी हैं हालात, उन्हींं के साथ।
हालातों को बदलने की तो सौगंध, हमने भी ली है॥
बदल तो जायेंगे जरूर, हालात मेरे और तुम्हारे।
वस खुद को बदना ही कवायद है इस जहाँ की॥
पुरजोर कहते हैंं वे लोग प्यार अस्तित्वहीन है।
जो जिंदगी ही प्यार बना बैठे थे॥ 
||6||
रातों में जग-जग के एक गजल बनाई है तेरे वास्ते सनम तेरे वास्ते।



 

   
 







Post a Comment

0 Comments