इस जहॉं की तो क्या बात है, दोनों जहॉं में नहीं है।।
देखा तुझे मैंने, नजर झपकी नहीं है।
सोया नहीं रातों में, और ऑंख जागी रही है।।
तस्वीर तेरी है ऑंखों में, दिल में तू ही तू है।
ख्वावों में तू और खयालों में तू, सब राज तू ही है।।
मुद्दत से चाहा था जिसे, तू राज वहीं है।
कल की तो कहानी है, और मेरा आज वही है।।
तुम सा कोई प्यारा, कोई मासूम नहीं है।
निकलती है जब तू हॅंसकर, खिलें गुलशन के सुमन सारे।
चलती है जब यूॅं मचलकर, मिलें राह में सितारे।।
एक बार जो तू मुख खोले, बजती सरगमें हैं सारी।
लहराये तेरा ऑंचल, घनघोर वरसे बादल।।
उड कर जो लटें बिखरें, सागर उमड के आये।
है परियों सा बिखरता, ये नूर कम नहीं है।।
तुम सा कोई प्यारा, कोई मासूम नहीं है।
चाहॅंू मैं सिर्फ तुझको, रब से भी मॉंग लाऊॅ।
करूॅं चाहतों की बातें, नहीं दूर तुमसे जाऊॅं।।
सुन लेना एक मेरी, यै चाहतों के मालिक।
साथ उसका मुझको देदे, लेलो खुशी अपार।।
ना चाहॅंू और कुछ भी, महबूब के सिवाय।
उसका जहॉं में कोई, अपना तो अब नहीं है।।
तुम सा कोई प्यारा, कोई मासूम नहीं है।
इस जहॉं की तो क्या बात है, दोनों जहॉं में नहीं है।।
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