मेरे गुरु बडे होशियार, नहीं तुम छोड के जाना,
मिलेगा प्रेम खजाना, नहींं तुम छोड के जाना,
युग-युग दर-दर भटक रहा तू, करता कयों भ्यवचार,
खुद को ऐसे भूल गया तू करता रहा बहाना,
मिलेगा प्रेम खजाना.................
मात पित और भाई बंधु सब जीने का अभिभार्,
सम्भल गया तो गुरु क्रपा से होवे नहीं जमाना,
मिलेगा प्रेम खजाना....................
गुरुमुख होकर मनमुख बनगया, क्या होगा उद्धार,
आज नहीं तो कल परसों में, होगा नहीं ठिकाना,
मिलेगा प्रेम खजाना...................
मेरे गुरु बडे होशियार, नहीं तुम छोड के जाना,
मिलेगा प्रेम खजाना, नहीं तुम छोड के जाना,
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