दोस्त तो दोस्त होता है, खास क्या और नजदीक क्या होता है।
प्यार हो गर दोस्त के लिये तो जहाँगीर और रब क्या होता है॥
ऐ यार सुन चल दूर कहीं, चाहे चलते-चलते सुबह हो जाये।
तू भी यूॅं ही चलते रहना, ना दूर कोई हममें से हो जाये।।
चल साथ मेरे मैं हॅूं तन्हा, जग में न कोई तुझसा मेरा,
चल हाथ पकड कर रख मेरा, उलझूॅं ना जगत उलझन से भरा,
राहें तो बहुत ही कठिन मगर, तू साथ बने रहना मेरे,
कट जायेंगी सारी वो घडियाॅं, जो गर्दिष की कहानी है,
ना आंख कभी नम यॅंू करना, दुनियाॅ तो बहुत करती है गुमां,
यारों में तो जन्नत है रब की, बस ये जन्नत ना गुम हो जाये
एै यार सुन चल दूर कहीं..............
नहीं और कोई संग है मेरे, तू भी ना कहीं खफा हो जाये।
हो बात अगर दिल में कोई, तो आज ही सब कुछ कह देना,
गर देर हुई क्या होगा भला, ये एहसास जरा तुम कर लेना,
हर बात तेरी मुझको मंजूर, कभी और किसी से मत कहना,
कह देना तेरा मन हल्का हो, मन को यूॅं सब कुछ कह देना,
एैसा ही है वो यार मेरा, शिकवे यूॅं सारे कह देना,
ये प्यार नहीं तुम कम करना, गर भूल हमीं से हो जाये।
ऐ यार सून चल दूर कहीं...................
कोई जो तुझे जब दे आवाज, तो पहले ही हाजिर हो जाऊॅं,
कोई जो करे तुझसे फरियाद, तो हर हाल निहाल में हो जाॅंऊ,
कोई जो करे तुझसे कुविचार, कर खास विचार कुछ कर जाऊ,
हों खास तेरी सारी खुशियां, औहदा न कभी कम हो तेरा,
ना मुष्किल हो जीवन में कभी, हर मुष्किल हो मुमकिन तेरी,
हर शह पर हो यॅंू राज तेरा, सबका सरजात तू हो जाये,
एै यार सुन चल दूर कहीं चाहे चलते-चलते सुबह हो जाये।
तू भी यूॅं ही चलते रहना, ना दूर कोई हममें से हो जाये।।
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