आज एक बहुत ही अहम शब्द के विषय में चर्चा करने जा रहा हॅू जी जो इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति के लिये बहुत ही मायने रखता है।
बात मेरे जीवन की बहुत बडी घटना की है जिसमें मैंने संपूर्ण रूप से अपने आप को उन चन्द लम्हों के लिये समर्पित कर दिया था जो मेरे ही न थे।
वो शब्द है ”इतंजार“ सच पूॅंछिए तो इस अकेले शब्द ने ही मेरी जिंदकी की कहानी रच डाली है खैर मैं अपने जीवन की किताब के पन्ने खोल कर नहीं बैठूूॅगा
आज में एक छोटी सी कहानी के वारे में आपको बताना चाहता हूँ।
लेकिन शुरूआत ही उस किताब के पन्ने से है तो इसलिए जरूरी हो जाता है उस की चर्चा करना तो
अब मैं मुद्दे की बात पर आता हॅू।
इतंजार इंतजार तो सभी करते हैं किसी न किसी रूप में मैंने तो अपने महबूब का किया है वर्षों .......
तपती हुई ज्येष्ठ की धूप में जलकर काला हो गया
बदन सारा और वो तो निकल गये इन्ही राहों से........ शेष दिल के दीपक का तेल उसे भी इतंजार ने खत्म कर डाला लेकिन फिर भी इसी इंतजार के इंतजार में खडे हैं ...
हम कि कब वो एक नजर देखें हमें हटकर दुनियाॅं के सुकून में ...................... दोस्तो लाखों इंतजार करने के बाद वो दिन आज तक नहीं आया
कि मेरा ये कमवख्त ये इंतजार मुझसे जुदा हो और मुझे तन्हा छोड सके ....................... इसीलिए आप सब से कहता हॅूं कि कभी किसी का इंतजार मत करना
क्योंकि आपके पास इस समय जो गम है वो इस इंतजार से लाखांें गुना कम है और इंतजार करने के बाद भी यही गम आपके पास बढकर रहने वाला है
तो फिर क्यों इस गम को बढाते हैं जितना है आप इसे इतना ही रहने दो छोड दो इंतजार करना मेहबूब का और मेरे साथ गुनगुनाओ............
इंतजार क्यूँ करू मैं गम तो मेरे पास है।
दिलरूवा है दूर कही, पर पागल दिल उदास है।।
। 1 ।
जब आये दिन दीवाली के इन्तजार खुश हुआ,
जलने लगे जब दीपक दिल के इन्तजार भी जल रहा,
बुझ गये सारे दीपक दिल के इंतजार अब जल रहा,
बदन पै छाले पडे हैं उसके दिल भी उसका शिशक रहा,
इन्तजार ये इन्तजार है उसको अब भी आस है।
इन्तजार क्यों करूॅं मैं.................
। 2 ।
बीते दिन जब आयी होली, इन्तजार भी रंग गया,
पल-पल पल-पल ढॅूंढा, हर घडी के संग गया,
मिला न उसको अपना रंग वो, जिसको उसने खो दिया,
मिली थी उसको बस मायूसी उसी के रंग में रंग गया,
फीके पडे थे सब रंग उसके, गम ने उसको रंग लिया,
फिर क्या करता बेचारा वह दुःख ही उसको रास है।
इन्तजार क्यों करूॅं मैं.................
। 4 ।
- वरिस आयी सावन में तो, इंतजार भीग गया,
रिम-झिम रिम-झिम वरसे बादल इंतजार भी डूब गया,
आह निकल गयी उसके मुॅह से, हाय ये तूने क्या किया,
तोड दिया क्यों इंतजार को, इंतजार ये कह रहा,
इन्तजार ना करना किसी का, इंतजार मर गया,
इन्तजार से घर इश्वर का देखो कितनी पास है।
इंतजार क्यूँ करू मैं गम तो मेरे पास है।
दिलरूवा है दूर कही, पर पागल दिल उदास है।।
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