जय श्री गुरू देवाय नमः
जय श्री सतगुरु देवाय नमः
जय श्री अल्खेश्वर देवाय नमः
सबसे पहले नमन मेरा, गुरू चरणों में शीश |
आज रखौ कर फेरि कर, क्षमा रूप अशीष ||
फेरि नमन मेरा अलख पिता को, जो है सबका मीन |
अउरि सुमिरनी सब संतन कौं, जो हैं मंचासीन ||
अबकें सुमिरनी सब सेबक कौंं, जो सबै बंधावत धीर |
महापुरुष हैं आप भी, जोडी सतसंगत की भीड ||
अलख अलग से हैं अलख, अलख ज्ञान का दीप |
हे अलख के बागवान, तुझे नित ही झुकाऊं शीश ||
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