जगत जगाता तुमको पाता
अकडम&बकडम तुम पै आता
कैसे नमन करूँ तुमको मैं,
अंजाना हूँ मुझे ना आता |
पीर पैगम्बर तुम पै रीझे,
जन्तर -मन्तर तुम हो सीखे |
आज अभी होगा कल परसों,
सभी जानकर तुम सुख ज्ञाता |
रोने की ना है इजाजत,
मरने की ना है इजाजत |
भाग नहीं सकता वो राजू,
सब पै किया तुम्ही ने जादू |
मैं तो रो-रोकर खुश होया,
कहाँ मिलेगा ऐसा माही |
मेरा कर्म बता दो स्वामी,
पथ प्रदर्शक ज्ञान के ज्ञाता |
कुंठित क्यों मेरा मन रहता,
राज काज से विछड गये ध्योता |
अब तो बस लागी धुन रामा,
धूमिल हुई जान विख्याता |
राम, रहीम, अल्लाह, मल्लारे,
श्याम, मुनि, द्रोणा, सर, सय्यद |
मालिक, खेवा, अकबर, माझी,
तुलसी, सूर, कबीर, विधाता |
राख्यौ लाज मन के विज्ञानी,
जावत, आवत, सोवत, जागत,
बैठत, खाँसत, जैंयत ज्योंंनारा,
कोई नहीं निज पार उतारा |
सांई, सोभन, दाताराम जी,
गुरु ओशो, आमदी वाले |
बाबा लाल भुजंगी वाले,
अघोर पंथ, मुनि, जैन, बैध उच्चारे |
करलव पंक्षी घोर घटायें,
अम्बर, आडम्बर सब देखे |
दाजोगा, रिषी, मुकेश, अजीत को बूझूं,
जानकार ना तुमसौ पायौ |
सुमिर नाम मन में हर्षाऊं,
तीरथ धाम रसुका हिमानी |
अपनों नांहि जगत में जानि,
अचरज से हूँ द्वार तुम्हारे |
बखत, कुबखत की माफी दीजौ,
कर ना मैं चुकता कर पाऊं |
अनजाने की भूल याचना,
गुरु हमारे भाग्य सुधारौ |
0 Comments