एक मजबूर हूँ गम का मारा हूँ मैं,
हे प्रभू मुझपै इतनी कृपा कीजिये |
मैं भला या बुरा तुम्हारा ही तो हूँ ,
अपनी गोदी में मुझको बिठा लीजिये |
ये तो माना बहुत ज्यादा मजबूर हूँ,
आप से हे प्रभू मैं बहुत दूज हूँ |
मेरी विनती सुनौ कहूँ कर जोरकर,
अपना दीदार मुझको करा दीजिये |
एक मजबूर ......................
खाली हाथों ना लौटकर जाऊँगा,
तेरी चौखट पै दम तोडकर जऊँगा |
तुम बफादार हो बेवफा ना बनो,
ना मेरा इस कदर इम्तिहान लीजिये ||
एक मजबूर......................
खाली दामन लिये आज आये हैं हम,
भर दो झोली मेरी सर झूकाये हैं हम |
नाव डूबी है इस दास परदीप की,
अपने हाथों मेरा फैंसला कीजिये ||
एक मजबूर हूँ गम का मारा हूँ मैं,
हे प्रभू मुझपै इतनी कृपा कीजिये |
मैं भला या बुरा तुम्हारा ही तो हूँ .
अपनी गोदी मैं मुझको बिठा लीजिये ||
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