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गुरू वंदगी भजन

 


एक मजबूर हूँ गम का मारा हूँ मैं,

हे प्रभू मुझपै इतनी कृपा कीजिये |
मैं भला या बुरा तुम्हारा ही तो हूँ ,

 अपनी गोदी में मुझको बिठा लीजिये |
ये तो माना बहुत ज्यादा मजबूर हूँ,

 आप से हे प्रभू मैं बहुत दूज हूँ |
मेरी विनती सुनौ कहूँ कर जोरकर,

 अपना दीदार मुझको करा दीजिये | 

एक मजबूर ......................
खाली हाथों ना लौटकर जाऊँगा,

तेरी चौखट पै दम तोडकर जऊँगा |
तुम बफादार हो बेवफा ना बनो,

 ना मेरा इस कदर इम्तिहान लीजिये ||
एक मजबूर......................
खाली दामन लिये आज आये हैं हम,

 भर दो झोली मेरी सर झूकाये हैं हम |
नाव डूबी है इस दास परदीप की,

अपने हाथों मेरा फैंसला कीजिये ||
एक मजबूर हूँ गम का मारा हूँ मैं,

 हे प्रभू मुझपै इतनी कृपा कीजिये |
मैं भला या बुरा तुम्हारा ही तो हूँ .

 अपनी गोदी मैं मुझको बिठा लीजिये ||

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