लोग तुमको कहेंं बेवफ़ा-बेवफ़ा । दिल की गहराईयोंं का तुझे ना पता, ईसमेंं गहराई इतनी समाये जहांँ। खुश रहे तु जहां मैं ये है मेरा सिला, तू रानी बने दिल मेरा चाहता। मैंं नहीं ................ प्यार करते हैं सब मैंने भी किया, दिल में बसने लगी दिल मेंं बसने दिया। हो जहां में खुशी का अधियाना तेरा, गम अगर हो तुम्हें खुशियां चाहता । मैंं नहीं ................ प्यार मुझसे नहीं गैर से ही सही, तेरा दामन ना मैला कभी हो सके। सुरज तेरा बने, चांँद तेरा बने सिर्फ तेरे लिये असमा चहता। मैंं नहीं ................ तुझको मेरे गमों का रहे वासता, धूमिल तेरा कभी जो हो रासता । जुगुंनू बनकर करूंँ तेरा आफता, तुझको ठोकर लगे, मैं नहीं चाहता। मैंं नहीं ................ भूल से भी कभी मैं, बुरा जो कहूंँ, और तेरी शिकायत जो रब से करूंँ। मेरे मैला तु मुझको सजा नापना, दुख का कांँटा लगे, मैं नहींं चाहता। मैंं नहीं ................ तुझको खुशबू लगे हर कली की सनम, मंँहकें तेरे लिये जग के सारे सुमं। रूठ जाये अगर तुझसे बादल कभी, तब तरे करें नमन चाहता। मैंं नहीं ................ मैं नहीं चाहता ये जहांँ भी रहे, जिसमेंं तुझको कहें बेवफ़ा-बेवफ़ा। दूर तारों पर हो अब तेरा जहांँ, जल जाये जहांँ, मैं यही चाहता। मैंं नहीं ................
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